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Pay Loan EMI: लोन EMI न भरने वालों के लिए सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश, जानें क्या होगा असर

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Pay Loan EMI: आज के दौर में बैंक और वित्तीय संस्थानों से लोन लेना पहले की तुलना में आसान हो गया है, लेकिन समय पर EMI (समान मासिक किस्त) का भुगतान न कर पाने की स्थिति में व्यक्ति को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। लोन चुकाने में देरी न केवल आर्थिक दबाव बढ़ाती है, बल्कि क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट हिस्ट्री पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।

लोन न चुकाने पर क्या हो सकता है?

यदि कोई व्यक्ति समय पर लोन की EMI नहीं चुकाता, तो बैंक और वित्तीय संस्थान निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं,

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  • गिरवी रखी संपत्ति या वाहन की जब्ती – यदि लोन किसी संपत्ति, वाहन, या अन्य गिरवी रखी चीज़ के बदले लिया गया है, तो बैंक उसे जब्त कर सकता है।
  • क्रेडिट स्कोर में गिरावट – समय पर EMI न भरने से क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है, जिससे भविष्य में लोन लेने में कठिनाई हो सकती है।
  • कानूनी कार्रवाई – लगातार EMI न भरने पर बैंक कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकता है, जिससे कोर्ट केस का सामना करना पड़ सकता है।
  • रिकवरी एजेंटों की नियुक्ति – बकाया लोन की वसूली के लिए बैंक रिकवरी एजेंट भेज सकते हैं, जिससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

बैंक और वित्तीय संस्थान कैसे करते हैं कार्रवाई?

जब कोई ग्राहक लोन चुकाने में असफल रहता है, तो बैंक निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाता है:

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  1. नोटिस भेजना – बैंक पहले नोटिस जारी करता है और ग्राहक को भुगतान का मौका देता है।
  2. बातचीत और समाधान – बैंक कई बार ग्राहकों को लोन सेटलमेंट या रीपेमेंट का नया प्लान ऑफर करता है।
  3. कानूनी कार्रवाई – यदि ग्राहक फिर भी भुगतान नहीं करता, तो बैंक कानूनी प्रक्रिया शुरू करता है।
  4. संपत्ति की नीलामी – गिरवी रखी गई संपत्ति या वाहन को नीलाम कर लोन की भरपाई की जाती है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लोन डिफॉल्ट से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। मामला तब शुरू हुआ जब एक व्यक्ति ने कार लोन लिया लेकिन समय पर EMI नहीं चुका पाया। बैंक ने गाड़ी जब्त कर ली, लेकिन ग्राहक ने इस कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती दी।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

  • बैंकों को जब्ती का अधिकार है – अगर लोन की EMI लगातार नहीं चुकाई जाती, तो बैंक कानूनी रूप से संपत्ति या वाहन जब्त कर सकता है।
  • कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी – जब्ती की प्रक्रिया केवल कानूनी नियमों के तहत ही होनी चाहिए।
  • पूर्व नोटिस देना अनिवार्य – बैंक को ग्राहक को पहले नोटिस देना होगा और उसे भुगतान के लिए पर्याप्त समय देना होगा।
  • क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ेगा – EMI न भरने से क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है, जिससे भविष्य में वित्तीय कठिनाइयाँ बढ़ सकती हैं।

अगर लोन चुकाने में असमर्थ हैं तो क्या करें?

यदि कोई व्यक्ति समय पर EMI भरने में असमर्थ है, तो उसे निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए,

  1. बैंक से बातचीत करें – अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में बैंक को जानकारी दें और समाधान खोजें।
  2. लोन रीपेमेंट प्लान बनाएं – EMI कम करने या भुगतान अवधि बढ़ाने का अनुरोध करें।
  3. लोन रिस्ट्रक्चरिंग का विकल्प अपनाएँ – कई बैंक पुनर्गठन (Restructuring) की सुविधा देते हैं, जिससे EMI को नए तरीके से व्यवस्थित किया जा सकता है।
  4. कानूनी सलाह लें – यदि बैंक अधिक दबाव बना रहा है, तो कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लें।
  5. अनावश्यक खर्चों में कटौती करें – अपने खर्चों को नियंत्रित कर EMI भुगतान को प्राथमिकता दें।

क्या यह फैसला सभी लोन धारकों पर लागू होगा?

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला विशेष रूप से उन मामलों में लागू होगा जहाँ बैंक या वित्तीय संस्थान लोन रिकवरी की कानूनी प्रक्रिया अपना रहे हैं। हालांकि, यदि कोई बैंक मनमाने तरीके से संपत्ति जब्त करता है या ग्राहक के साथ अनुचित व्यवहार करता है, तो ग्राहक इसके खिलाफ कानूनी कदम उठा सकता है।

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निष्कर्ष

लोन EMI समय पर न भरना गंभीर वित्तीय समस्याओं को जन्म दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस हालिया फैसले से स्पष्ट हो गया है कि बैंकों को कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए ही संपत्ति जब्त करनी होगी। अगर आप लोन चुकाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं, तो समय रहते बैंक से संपर्क करें और समाधान निकालें, ताकि किसी भी प्रकार की परेशानी से बचा जा सके।

यह लेख अधिक सरल, स्पष्ट और प्रभावी रूप से लिखा गया है ताकि पाठक इसे आसानी से समझ सकें। यदि आप इसमें कोई और बदलाव चाहते हैं तो बताएं।

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Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हम इसकी पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते, कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।

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