Advertisement
Advertisements

Cheque Bounce: चेक बाउंस मामलों पर हाईकोर्ट का अहम फैसला, डिजिटल नोटिस को मिलेगी कानूनी मान्यता!

Advertisements

Cheque Bounce: चेक बाउंस मामलों को लेकर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिससे कानूनी प्रक्रिया को और सशक्त बनाया जाएगा। अब इन मामलों में डिजिटल नोटिस को भी वैध माना जाएगा, जिससे मामलों का निपटारा तेज़ी से हो सकेगा और न्याय मिलने में आसानी होगी। इस फैसले का व्यापक असर पड़ेगा और इससे जुड़े नियमों में भी कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। आइए, जानते हैं इस नए फैसले के बारे में विस्तार से।

हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चेक बाउंस मामलों में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के अनुसार, ई-मेल, व्हाट्सएप या अन्य डिजिटल माध्यमों से भेजे गए नोटिस को वैध माना जाएगा, बशर्ते कि यह IT एक्ट की धारा 13 के अनुरूप हो।

Advertisements

डिजिटल नोटिस की वैधता

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर चेक बाउंस के मामले में नोटिस इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजा जाता है, तो उसे कानूनी रूप से मान्यता मिलेगी।
यह फैसला IT एक्ट की धारा 4 और 13 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 65B के प्रावधानों के तहत दिया गया है।
इस फैसले के बाद, अब हाथ से लिखे या डाक द्वारा भेजे गए नोटिस के अलावा, डिजिटल नोटिस भी वैध होंगे।

Also Read:
UPI Fees Hike UPI Fees Hike: UPI पर लगेगा चार्ज, मुफ्त लेन-देन का दौर खत्म, जानें कितनी देनी होगी फीस?

नए नियम से क्या बदलेगा?

प्रक्रिया में तेजी: चेक बाउंस के मामलों में अब नोटिस भेजने के पारंपरिक तरीकों के अलावा, ई-मेल और व्हाट्सएप जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म भी मान्य होंगे, जिससे कानूनी प्रक्रिया में तेजी आएगी।
लचीलापन: अब केवल हाथ से लिखे नोटिस तक सीमित रहने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल नोटिस से शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया अधिक सुविधाजनक और प्रभावी होगी।
पारदर्शिता: इस फैसले के बाद कोर्ट में प्रस्तुत किए गए सबूत अधिक मजबूत होंगे और धोखाधड़ी या गलतफहमी की संभावना कम हो जाएगी।

Advertisements

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का दृष्टिकोण

उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय ने राजेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले में भी डिजिटल नोटिस को वैध मानने का निर्णय दिया था।

जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (NI Act) की धारा 138 में नोटिस भेजने का उल्लेख है, लेकिन इस नोटिस को भेजने के साधन (Mode of Sending) पर कोई विशेष नियम नहीं है।
इसलिए, डिजिटल माध्यम से भेजे गए नोटिस को भी वैध माना जाएगा।

Advertisements
Also Read:
BSNL latest recharge plan BSNL latest recharge plan: BSNL का होली धमाका ऑफर, 425 दिनों की फ्री कॉलिंग, कीमत आपके बजट में

न्यायिक प्रक्रिया में नया बदलाव

उत्तर प्रदेश की अदालतों ने मैजिस्ट्रेट्स के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें यह कहा गया है कि यदि किसी चेक बाउंस मामले में शिकायत दर्ज की जाती है, तो संबंधित अधिकारी को पूरी जानकारी और रिकॉर्ड सुरक्षित रखना होगा।
इससे पारदर्शिता में वृद्धि होगी और धोखाधड़ी के मामलों को रोका जा सकेगा।

नए फैसले का असर

इस फैसले से चेक बाउंस मामलों की न्यायिक प्रक्रिया तेज होगी और डिजिटल नोटिस मान्य होने से कोर्ट में पेश किए गए सबूतों की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
अब शिकायतकर्ता को डाक या कूरियर द्वारा नोटिस भेजने की बाध्यता नहीं होगी, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी।
ई-मेल और व्हाट्सएप जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से नोटिस देने की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुरक्षित होगी।

Advertisements

निष्कर्ष

डिजिटल नोटिस अब चेक बाउंस मामलों में वैध होंगे।
ई-मेल, व्हाट्सएप, और अन्य डिजिटल माध्यमों से भेजे गए नोटिस कानूनी रूप से मान्य होंगे।
इस फैसले से कानूनी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, तेज़, और प्रभावी बनेगी।
मैजिस्ट्रेट्स को चेक बाउंस मामलों में सभी रिकॉर्ड और सबूतों को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया है।

Also Read:
New Recharge Plans 2025 Jio, Airtel और Vi के धांसू 1 साल वाले रिचार्ज प्लान, जानें कौन सा आपके लिए बेस्ट New Recharge Plans 2025

अब, यदि किसी व्यक्ति का चेक बाउंस होता है, तो उसे व्हाट्सएप या ई-मेल के माध्यम से नोटिस भेजना भी पूरी तरह से मान्य होगा। इससे शिकायतकर्ताओं को तेजी से न्याय मिलने में मदद मिलेगी और बैंकिंग प्रणाली में अधिक पारदर्शिता आएगी।

Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हम इसकी पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते, कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।

Leave a Comment

Whatsapp Group